कुछ यादों का सफर,,, बस यादें ही रहती हैं,,, और फिर उसी सफर से एक नयी यादें बनती है। ऐसा ही है, ये यादों का सफर,, कभी भोली सी उदासियां लाती है, चेहरे पर,, कभी दर्द की एक मीठी मुस्कान,, कभी तजुर्बों वाली शाम लाती है, कभी थकावट की रात जहां बंद आखों से आसूओं की पतली धार सी तूफान भी लाती हैं, कुछ ऐसा ही तो है,, यादों का सफर.. यादों का गुलदस्ता कौन नहीं रखता,, अच्छी हो या बुरी,, सब रखते हैं,, कोई साथ लेकर चलता है, कोई अकेले रहकर उसे गुनगुनाता है,, कोई उसे एक शोर के साथ दूसरों काे दिखाता है,, कभी-कभी तो मायुस होकर चेहरा भी छिपाता है,, ये जो यादों का सफर है,, बहुत सी कहानियां गढ़ती हैं, जुबानों पर,, यादें आपके जिंदगी का चरित्र तय करती हैं, क्योंकि उन्हीं यादों से आप अपने जिंदगी के कई पहलूओं को सुलझाते हैं, दूसरों के सामने अपनी यादों के चरित्र से ही जाने जाते हैं, आपका चरित्र ही आपकी यादों की कहानियां बनाती हैं,, वैसे तो कहानियां यूं ही नहीं बनते..जब उन यादों का घरौंदा मजबूत हो जाता है,, और उसके चारों एक खूबसूरत फूलों की धाराएं खीचनें सी लगे, तभी बनती हैं, कहानियां.. कहानियां जो ह...
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