उम्र का पड़ाव...

बहुत दिनों बाद सुकून मिला है जैसे। एक चिड़िया सा बोझ था मन में लेकिन अब नहीं है। बहुत दिनों से लग रहा था पता नहीं कहां कैद हैं, लेकिन अब आज़ाद महसूस हो रहा है। अब डर नहीं लगता है, लगता है ज़िंदगी को एक नया पड़ाव मिल गया है। नहीं कोई खुशी की बात नहीं है, लेकिन आज जब घर लौटा तो मन बड़ा हल्का लग रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे शरीर हवा को महसूस कर रहा है, मन में एक लम्बी श्वास पहले से ज्यादा ठंडी और सुख देने का एहसास करा रही है। ऐसा पहले भी हुआ है और जब भी हमें ऐसा महसूस होता है कहीं न कहीं हम उम्र के एक पड़ाव को पार कर रहे होते हैं, हां तो आज भी कुछ वैसा ही है। आज समय भी बड़ा शांत होकर मेरी बातें को सुन रहा है। हो भी क्यों ना एक अरसे से हमनें समय को भी समय नहीं दिया। कभी-कभी लगता है हम इतने व्यस्त कब हो गए ज़िंदगी में कि समय का भी साथ छोड़ दिया था हमनें, लेकिन आज नहीं, आज वो मेरे साथ बैठकर मेरी सारी बातें सुनेगा, मेरे सारे सवालों के जवाब भी देगा, मेरे पास भी आज उसके सारे सवालों के जवाब हैं। आज हम समय से आंखें मिलाकर ये बोल पा रहे हैं, कि हम तुमसे दूर नहीं हुए ना होना चाहते हैं बस...