व्याकुल मन

प्रिय साथी, काफ़ी दिनों से सोच रहा था कि तुम्हें कुछ लिखूं, लेकिन वक्त की कमी के कारण लिखना सम्भव नहीं हो पा रहा था। आज जब थोड़ा समय मिला तो लगा कि तुम्हें याद ही कर लिया जाए। ऐसा नहीं है हम तुम्हें याद नहीं करते हैं, हम तुम्हें तब भी याद करते हैं जब हम सबसे ज्यादा व्यस्त होते हैं। बस मुझे जताना नहीं आता है। सच कहूं तो आजकल बहुत थका हुआ महसूस होता है कल इसी लिए मैं सड़क किनारे बैठ गया, काफ़ी दिनों से मन में एक उलझन सी हो रही है। किसी से कहने की हिम्मत ही नहीं हो पा रही है, क्योंकि यहां कोई नहीं समझेगा और अगर कोई सुनने वाला मिल भी जाए तो वो तुम्हारे लिए अपने मन में एक विशेष चरित्र बनाकर लोगों के सामने रख देगा। वो चरित्र जो तुम कभी थे ही नहीं। इसी लिए मुझे तुम्हारा इंतज़ार है, क्योंकि मुझे पता है कि तुम औरों की तरह मेरे लिए कोई एक चरित्र अपने मन में नहीं बनाओगे, तुम मुझे सुनोगे और मेरी बात को भी समझोगे। तुम्हें जानकर हैरानी होगी कि जबसे हमनें उम्र के नए पड़ाव में क़दम रखा है, आस पास के लोग बहुत से ताने देते हैं। कि तुम शादी क्यों नहीं...