व्याकुल मन


प्रिय साथी,

              काफ़ी दिनों से सोच रहा था कि तुम्हें कुछ लिखूं, लेकिन वक्त की कमी के कारण लिखना सम्भव नहीं हो पा रहा था। आज जब थोड़ा समय मिला तो लगा कि तुम्हें याद ही कर लिया जाए। ऐसा नहीं है हम तुम्हें याद नहीं करते हैं, हम तुम्हें तब भी याद करते हैं जब हम सबसे ज्यादा व्यस्त होते हैं। बस मुझे जताना नहीं आता है। सच कहूं तो आजकल बहुत थका हुआ महसूस होता है कल इसी लिए मैं सड़क किनारे बैठ गया, काफ़ी दिनों से मन में एक उलझन सी हो रही है। किसी से कहने की हिम्मत ही नहीं हो पा रही है, क्योंकि यहां कोई नहीं समझेगा और अगर कोई सुनने वाला मिल भी जाए तो वो तुम्हारे लिए अपने मन में एक विशेष चरित्र बनाकर लोगों के सामने रख देगा। वो चरित्र जो तुम कभी थे ही नहीं।

 इसी लिए मुझे तुम्हारा इंतज़ार है, क्योंकि मुझे पता है कि तुम औरों की तरह मेरे लिए कोई एक चरित्र अपने मन में नहीं बनाओगे, तुम मुझे सुनोगे और मेरी बात को भी समझोगे। तुम्हें जानकर हैरानी होगी कि जबसे हमनें उम्र के नए पड़ाव में क़दम रखा है, आस पास के लोग बहुत से ताने देते हैं। कि तुम शादी क्यों नहीं कर लेते हो, कब करोगे शादी? हम उनकी बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं इसी लिए हंसते हुए बोल दिया करते हैं, कर लेंगे या फिर तरह तरह के बहाने बना देते हैं, कभी कभी तो उनकी बातों को अनसुना भी कर देते हैं। लेकिन उनसे सच कह नहीं सकता कि मुझे तुम्हरा इंतज़ार है। उसी बेसब्री के साथ जैसे बारिश नदी से मिलने को व्याकुल होती है, जैसे पक्षी अपने घोंसले में जाने को व्याकुल होता है, जैसे एक बच्चा अपनी मां से मिलने को व्याकुल होता है। बस वैसा ही व्याकुल मन, मैं लेकर घूमता रहता हूं तुमसे मिलने के लिए।

 हर रोज़ बस एहसास सा होता है कि शायद आज तुमसे मुलाकात होगी, फिर मैं तुमसे ये कहूंगा, मैं तुमसे वो कहूंगा। मैं ये सब सोच ही रहा होता हूं कि फ़ोन की घंटी बजने लगती है और मैं उस ख्याली दुनिया से निकलकर सच का सामना करने निकल पड़ता हूं। मैं तुमसे बस एक बात कहना चाहता हूं कि तुम जहां रहना सुरक्षित रहना और हो सके तो लोगों से दूरी बनाकर रखना। आजकल लोग अपना बोलकर बहुत जल्दी दिल तोड़ देते हैं, वैसे तुम्हें बताऊं कि मैं भी किसी से कोई अपेक्षा नहीं रखता हूं और अगर तुम भी सामने से आकर बोलोगे की मुझसे भी नहीं तो मैं तब भी नहीं ही बोलूंगा। मुझे पता है जैसे ही रिश्तों में अपेक्षाएं आने लगती हैं और तुम उसे पूरा नहीं कर पाओगे तो सामने वाले की नज़रों में तुम गुनहगार बन जाओगे। 


इस लिए मैं तुमसे कोई अपेक्षा नहीं रखूंगा। तुम्हारी अपनी मर्ज़ी होगी अगर तुम मेरी ज़िंदगी में आओगे। मैं ज्यादा बड़े वादे तो तुमसे नहीं करूंगा, लेकिन इतना ज़रूर कह सकता हूं मैं तुम्हारे सपनों का पीछा करने में तुम्हारे साथ रहूंगा और तुम भी बस मेरे सपनों का पीछा करने में मेरा साथ देना। मैं तुमसे ज़िंदगी भर साथ जीने का वादा नहीं चाहता हूं, और यहां किसी को वो वादा नहीं चाहिए।

 इतना समय कहां है किसी के पास, मैं बस इतना चाहता हूं कि तुम और हम ज़िंदगी के हर एक पल को एक एक करके जिएं, ना तो हमें आने वाले कलकी फिक्र हो ना बीते हुए कल की, बस हम दोनों आज में जिएं। सुनो ना ज्यादा इंतज़ार मत कराना, आजकल बहुत जल्दी थक जाता हूं मैं, इसी ख्याल में की तुम मिलने आओगे।

तुम्हारा साथी।

Comments

  1. Beautifully written👌😊

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  2. Bhut Bhtreen likha hai aapne very touching

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