तुम हिम्मत कैसे हार जाते हो...
प्रिय साथी सुना है कि तुम मेरी चिठ्ठियों को पढ़ते हो, मुस्कुराते भी हो लेकिन उसका जवाब नहीं देते हो। कोई बात नहीं मुझे इसका अफसोस नहीं है लेकिन मैं तुम्हें चिट्ठियां लिखना बंद नहीं करुंगा। आजकल वैसे भी हम किसी से कोई अपेक्षा रखते भी नहीं है। मैंने अकेले खुश रहना सीख लिया है। हां जब तुम जब मिलोगे वो एक समय होगा, और मैं उस समय का इंतज़ार भी कर रहा हूं। फिलहाल अभी अकेले रहने से डर नहीं लगता है। मैं बस इतना चाहता हूं कि तुम तभी मेरे पास आना जब तुम्हें ये लगने लगे कि मेरे साथ आने का तुम्हारा ये फ़ैसला गलत नहीं है। तब तक तुम हिम्मत जुटाओ, क्योंकि मेरे पास समाज से लड़ने के लिए बहुत हिम्मत है लेकिन जब तुम साथ आओगे तो हिम्मत दोगुनी हो जायेगी तुम्हारी भी और मेरी भी। वैसे आजकल मैं सुन रहा हूं कि तुम ज़िंदगी से हारने जैसा महसूस करने लगे हो। छोटी-छोटी बातें तुम्हें तुम्हारा आपा खोने पर मजबूर कर देती हैं। तुमने कई बार ख़ुद के सामान को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी की है, लेकिन उससे क्या होगा। क्या तुम्हें पता नहीं है कि मैं तुम्हारी हिम्मत बनकर खड़ा हूं या क्या तुम्हें ये पता नहीं है कि मुझे