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Showing posts from May, 2021

इंतज़ार...

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Part-2  कल मुझे एकदम से लगा की जैसे किसी ने मुझे चलती हुई गाड़ी से बीच रास्ते में ही उतार दिया हो मुझे बहुत अज़ीब सा लगा चारों तरफ़ केवल रेत ही रेत दिखाई दे रही है रास्तों का कोई अंत दिखाई ही नहीं दे रहा है, पैदल चलते हुए पैरों में इतनी जलन सी हो गई है कि जूतों को रोड़ के किनारे फेंक फिर से पैदल चलने को सोच रहा हूं, लेकिन जैसी ही खड़ा हुआ तो एकदम से पैरों तले जलन बढ़ सी गई है देखता हूं की उंगलियों में छाले से पड़ गए हैं, हिम्मत ही नहीं हो रही आगे चलने की, सोच रहा हूं कि रुक जाऊं थोड़ी देर के लिए यहीं बैठ जाता हूं, लेकिन जैसे ही आखें बंद कर रहा हूं तुम्हारा अंजान चेहरा एकदम से सामने आ जा रहा है, तुमसे जो मिलने की ख्वाहिश है उसकी खुशी भी है और थोड़ी बैचेनी भी है, कि मैं तुम्हें पसंद भी आऊंगा या नहीं, हो सकता है जैसा तुमने अपने सपने में मुझे देखा हो मैं उससे कई अलग हूं, या जितना तुमने मुझसे बात किया हो उससे भी कई अलग हूं, हो सकता है कि हम गलत भी हो, क्योंकि हम अकेले तो है नहीं इस दुनियां में जो अच्छा व्यक्ति हो। हम बस कोशिश करते हैं कि एक बेहतर इंसान बन सके और एक बेहतर दोस्त, सच कहूं ...

इंतज़ार...

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 प्रिय साथी,                 सच कहूं तो काफ़ी दिनों बाद अच्छा लगा किसी से बात करके। वैसे तो हम रोजाना कई लोगों से मिलते हैं बात करते हैं और सबसे घुल मिल भी  जाते हैं,  लेकिन इतना नहीं कि किसी को अपनी ज़िंदगी में जगह बनाने के लिए चुना जा सके। मानते हैं कि हम कभी कभी उदास रहने वाले इन्सान हैं, लेकिन उस उदासी को बहुत खूबसूरत तरीके से अपने अन्दर समेट रखा है हमनें, उसकी छांव में आने वाले किसी भी इंसान को परेशान नहीं करते हैं उसे कभी अकेला नहीं रहने देते हैं। "वो कहते हैं ना कि एक पेड़ कॉर्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करता है और ऑक्सीजन छोड़ता है, बस ठीक वैसे ही हैं हम। एक बात बताएं तो ज़िंदगी में बहुत ज्यादा चाहत नहीं है मेरी बस इतना कि एक इंसान हो जो वक्त बेवक्त साथ निभा सके, कभी जब ठहर जाऊं तो सड़क के किनारे दो पल साथ बैठ सके, बाकी उसके सपनों के साथ हम हमेशा चलने को तैयार हैं। जब कभी उसके पांव में काटे चुभे उसका हाथ पकड़ने के लिए तैयार हैं हम, कभी जब वो उदास हो तो उसके लिए जोकर बन जाएं हम, कभी जब वो ऑफिस से थककर आए तो उसके लिए एक कप चाय बना दे...