इंतज़ार...
सच कहूं तो काफ़ी दिनों बाद अच्छा लगा किसी से बात करके। वैसे तो हम रोजाना कई लोगों से मिलते हैं बात करते हैं और सबसे घुल मिल भी जाते हैं, लेकिन इतना नहीं कि किसी को अपनी ज़िंदगी में जगह बनाने के लिए चुना जा सके। मानते हैं कि हम कभी कभी उदास रहने वाले इन्सान हैं, लेकिन उस उदासी को बहुत खूबसूरत तरीके से अपने अन्दर समेट रखा है हमनें, उसकी छांव में आने वाले किसी भी इंसान को परेशान नहीं करते हैं उसे कभी अकेला नहीं रहने देते हैं। "वो कहते हैं ना कि एक पेड़ कॉर्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करता है और ऑक्सीजन छोड़ता है, बस ठीक वैसे ही हैं हम। एक बात बताएं तो ज़िंदगी में बहुत ज्यादा चाहत नहीं है मेरी बस इतना कि एक इंसान हो जो वक्त बेवक्त साथ निभा सके, कभी जब ठहर जाऊं तो सड़क के किनारे दो पल साथ बैठ सके, बाकी उसके सपनों के साथ हम हमेशा चलने को तैयार हैं। जब कभी उसके पांव में काटे चुभे उसका हाथ पकड़ने के लिए तैयार हैं हम, कभी जब वो उदास हो तो उसके लिए जोकर बन जाएं हम, कभी जब वो ऑफिस से थककर आए तो उसके लिए एक कप चाय बना दे हम, बस इतना की एक बेहतर दोस्त बन सके हम। क्या है ना कि रिश्तों में जब दोस्ती का प्यार आ जाता है तो रिश्ते निभाने सबसे आसान हो जाते हैं।
वैसे एक कविता लिखी है आपके लिए...
"हम वो राजकुमार तो नहीं हैं, जो आपकों आसमान की सैर कराए, लेकिन जब आप उड़ना चाहोगे तो अपके पंख़ ज़रूर बन जाएंगे।
हम शायद आपकी सारी ख्वाहिश तो ना पूरी कर पाएं, लेकिन आपकी ख्वाहिशों का पुलिंदा अपके साथ बनायेंगे।
हम शायद कभी ख़ुद ना हस पाएं, लेकिन जब आप हसना चाहोगे हम जोकर ज़रूर बन जायेंगे।
हम शायद बीच राह में थक जाएं, लेकिन अपके जिंदगी के रास्ते में दिये ज़रूर जलाएंगे।
हम शायद ख़ुद का व्यक्तित्व भूल जाएं, लेकिन आपकी पहचान बनाने के लिए हर हद से गुज़र जाएंगे।
सुनो हम राजकुमार तो नहीं है, जो आपको आसमां की सैर कराए, लेकिन जब आप उड़ना चाहोगे तो अपके पंख ज़रूर बन जाएंगे।""
हमनें कभी किसी का साथ आजतक नहीं छोड़ा है सिवाय एक इंसान के, आपको सच बताने से हमें कोई गुरेज नहीं है, क्योंकि रिश्ते या दोस्ती!! उस का आधार जितना मज़बूत होगा रिश्ते उतने ही मज़बूत होंगे। हमें पता है हर इंसान का अपना एक सपना होता है आपका भी है, हमारा भी है, क्या ऐसा हो सकता है कि आप एक दिन सुबह उठे और हमसे बोले कि विनय चलो दोनों मिलकर अपने-अपने सपनों को जीते हैं, वैसे सच बताएं तो हमें नहीं पता है कि हमारे पास कितना समय है, जब भी घड़ी देखता हूं तो सोचता हूं कहीं लेट तो नहीं हो रहा हूं ज़िंदगी में, ट्रेन तो सामने खड़ी है लेकिन हम उस दोस्त के इंतज़ार में हैं, जो ज़िंदगी के आख़िरी सफ़र तक मंजिल मिलने तक साथ दे सके। मुझे नहीं पता कि हम कितनी दूर तक चल पाएंगे, लेकिन अगर आपको मुझपर विश्वास करने का दिल करे तो वो स्टेशन जहां ख़त्म होता है ना, ठीक उससे पहले एक कुर्सी ख़ाली पड़ी रहती है, हम कई दिनों से वहीं बैठे इंतज़ार कर रहे हैं हम, कभी जब आप आओ तो उसी कुर्सी पर आपको एक अंजान इंसान दिखाई देगा उलझे बालों वाला, बार बार घड़ी की ओर देखने वाला, उसकी परछाई के अलावा कोई उसके साथ नहीं खड़ा होगा, बस समझ जाइएगा वो हम ही हैं।
आपको ये पढ़कर बड़ा अजीब लग रहा होगा कि क्या इस तरह के प्राणी भी दुनियां में हैं, जो इस तरह से ज़िंदगी को जीते हैं, क्या कोई ऐसा इंसान भी होता है जो शहर में आने के बाद वहां की हवाओं में घुल ना जाए तो हां हम हैं वैसे जैसे आज से 10 साल पहले थे कभी बदल ही नहीं पाए ख़ुद को दूसरों की तरह।
आपके जवाब का इंतज़ार रहेगा, ज़िंदगी के स्टेशन पर इंतज़ार कर रहा एक अनजान शख्स।
Ab main kya kahu...!
ReplyDeletebuhot hi badhiya likha hai vinay bhaiya....
Allah AAP ki tamam jaez tamannao ko pura kare...
Ameen ❤
Nice
ReplyDeleteAmazing achha laga jan kr ki ap itna achha likhte hai
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