Part-2 कल मुझे एकदम से लगा की जैसे किसी ने मुझे चलती हुई गाड़ी से बीच रास्ते में ही उतार दिया हो मुझे बहुत अज़ीब सा लगा चारों तरफ़ केवल रेत ही रेत दिखाई दे रही है रास्तों का कोई अंत दिखाई ही नहीं दे रहा है, पैदल चलते हुए पैरों में इतनी जलन सी हो गई है कि जूतों को रोड़ के किनारे फेंक फिर से पैदल चलने को सोच रहा हूं, लेकिन जैसी ही खड़ा हुआ तो एकदम से पैरों तले जलन बढ़ सी गई है देखता हूं की उंगलियों में छाले से पड़ गए हैं, हिम्मत ही नहीं हो रही आगे चलने की, सोच रहा हूं कि रुक जाऊं थोड़ी देर के लिए यहीं बैठ जाता हूं, लेकिन जैसे ही आखें बंद कर रहा हूं तुम्हारा अंजान चेहरा एकदम से सामने आ जा रहा है, तुमसे जो मिलने की ख्वाहिश है उसकी खुशी भी है और थोड़ी बैचेनी भी है, कि मैं तुम्हें पसंद भी आऊंगा या नहीं, हो सकता है जैसा तुमने अपने सपने में मुझे देखा हो मैं उससे कई अलग हूं, या जितना तुमने मुझसे बात किया हो उससे भी कई अलग हूं, हो सकता है कि हम गलत भी हो, क्योंकि हम अकेले तो है नहीं इस दुनियां में जो अच्छा व्यक्ति हो। हम बस कोशिश करते हैं कि एक बेहतर इंसान बन सके और एक बेहतर दोस्त, सच कहूं ...
Comments
Post a Comment