इंतज़ार...
प्रिय साथी, सच कहूं तो काफ़ी दिनों बाद अच्छा लगा किसी से बात करके। वैसे तो हम रोजाना कई लोगों से मिलते हैं बात करते हैं और सबसे घुल मिल भी जाते हैं, लेकिन इतना नहीं कि किसी को अपनी ज़िंदगी में जगह बनाने के लिए चुना जा सके। मानते हैं कि हम कभी कभी उदास रहने वाले इन्सान हैं, लेकिन उस उदासी को बहुत खूबसूरत तरीके से अपने अन्दर समेट रखा है हमनें, उसकी छांव में आने वाले किसी भी इंसान को परेशान नहीं करते हैं उसे कभी अकेला नहीं रहने देते हैं। "वो कहते हैं ना कि एक पेड़ कॉर्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करता है और ऑक्सीजन छोड़ता है, बस ठीक वैसे ही हैं हम। एक बात बताएं तो ज़िंदगी में बहुत ज्यादा चाहत नहीं है मेरी बस इतना कि एक इंसान हो जो वक्त बेवक्त साथ निभा सके, कभी जब ठहर जाऊं तो सड़क के किनारे दो पल साथ बैठ सके, बाकी उसके सपनों के साथ हम हमेशा चलने को तैयार हैं। जब कभी उसके पांव में काटे चुभे उसका हाथ पकड़ने के लिए तैयार हैं हम, कभी जब वो उदास हो तो उसके लिए जोकर बन जाएं हम, कभी जब वो ऑफिस से थककर आए तो उसके लिए एक कप चाय बना दे हम, बस इतना की एक बेहतर दोस्त बन सके हम। क्या है
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