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Showing posts from July, 2021

तुम Counsellor बन जाओ

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मुझे हंसी आ गई जब उसने मुझसे कहा तुम परामर्शदाता (C ounsellor)  क्यों नहीं बन जाते हो। गलत सलाह तो देते नहीं हो जब देखो तब सबको प्रेरित करने वाली बातें करते रहते हो। तुम्हारे पास ज़िंदगी का अच्छा अनुभव भी है, जो तुमने ख़ुद जिया हुआ है। तुम किसी भी मुश्किल में ख़ुद को सुलझाने की काबिलियत रखते हो। तुम अच्छे श्रोता भी हो लेकिन कभी किसी को मुफ़्त में सलाह मत देना, क्योंकि यहां मुफ़्त के सलाह की कोई कद्र नहीं करता है। हमनें भी उसके हां में हां मिलाते हुए कहा कि कोशिश करेंगे लेकिन अगर ऐसा है तो क्यों ना हम तुमसे ही शुरुआत करें। मेरी बात सुनकर वो हसने की जगह सच में अपनी बातें बतानी शुरु कर दिया। मुझे लगा नहीं था कि उसकी बात का मेरे पास कोई जवाब होगा लेकिन काफ़ी सुनने के बाद मेरी दी हुई सलाह शायद उसे बहुत अच्छी लगी। खुश होकर बोली अच्छा है कि तुम्हारे पास हर सवाल का जवाब है। पर ऐसा पहली बार नहीं था जब हम उसके परेशानियों को सुन रहे थे। मेरे कई ऐसे दोस्त हैं जो शुरु के दिनों से अपनी बातें मुझे बताते रहें हैं, ऐसी बातें जो वो शायद किसी से कह नहीं पाते थे, शायद इसी भरोसे से कि हम किसी को उनकी...

बारिश और तुम

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  हम आज भी बारिश में भीग रहे थे। उसी शाम की तरह जब तुम्हें पहली बार पता चला था कि हम बारिश में भीगने के बाद छोटे बच्चे की तरह कांपने लगते हैं। तुम्हें बहुत हसी भी आयी थी लेकिन तुमने मेरा हाथ थाम लिया था ताकि हमें तसल्ली दे सको। तुम्हारे अलावा कोई भी नहीं जानता था कि हमें बारिश में भीगना नहीं आता है। हम तो केवल उस बारिश के बहाने अपने आसूओं को ही छिपाना जानते थे। हम तुम्हारी यादों को कुरेदना नहीं चाहते हैं, हम बस अपनी यादों को ज़िंदा रखना चाहते हैं। उस हीरे की तरह जो भले ही कितना भी मिट्टी से लिपट गया हो लेकिन अपनी अहमियत कभी कम नहीं होने देता है। तुम्हें सच बताऊं तो तुम्हें खोने का एहसास तो है, लेकिन यह सच है कि हम तुम अब लौट नहीं सकतें हैं उस रास्ते पर जहां कभी हम दोनों ने मिलकर एकसाथ चलने का वादा किया था। कहते हैं कि जब आपकी ज़िंदगी पर समय की नज़र लग जाए तो रिश्ते को बचा पाना मुुश्किल हो जाता है। अब हम तुम्हें तो दोषी नहीं ठहरा सकते हैं ना, ना ही ख़ुद को, इसी लिए सारा दोष समय पर मढ दिया है। क्या करे समय से जो लड़ने लगे थे हम दोनों। समय का ही तो फेरबदल है ये। एक बात कहूं तो हमनें ज...

मुझे लोगों से डर लगता है...

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कभी लोग मुझे कहते थे कि मैं बातों को सबसे ज्यादा घुमाती हूं कभी सीधी बात नहीं कहती हूं, लेकिन तुमसे मिलने के बाद हमें लगा ना!! कोई है जो हमसे भी ज्यादा बातों को घुमा लेता है। तुम्हें कोई परेशानी होती है तो सीधे क्यों नहीं कह पाते हो इतना घुमाते क्यों हो। उनकी बातों ने जैसे थोड़ी देर के लिए चेहरे पर चुप्पी सी ला दिया था, उनकी बातों में कहीं न कहीं एक सच्चाई सी थी, सच में हमनें तो अब बातों को घुमाना सीख लिया था, लेकिन इसकी कई वजहें भी थी। कई लोग थे ज़िंदगी में जो हमसे अक्सर ये दावा किया करते थे कि वो हमें बेहतर समझते हैं लेकिन जब वक्त सच में समझने का आया तो सबने अपने-अपने हिसाब से समझना शुरु कर दिया। एक बात कहूं तो एक वो दिन था और एक आज का दिन है, उस के बाद से हमें अपनी बात को किसी से कहने में डर लगने लगा कि हम कैसे किसी से कहें, कैसे किसी को बताएं, वो वक्त वो सच डरावना था, जब अक्सर नींद की ख्वाहिश में आंखें हमेशा खुली ही रहती थी, कई बार कोशिश किया था हमनें, जब कोई ख़ास हुआ तो उसे बताने का कि हम कैसें हैं, लेकिन किसी को समझ में नहीं आती है ना तो कोई समझना नहीं चाहता है, और तो और कभी-कभी ...