यहां कोई काबिल नहीं है...
तुम अब किसी की परवाह नहीं करते हो, इस लिए तुम अकेले रहने लगे हो। उसकी बात सुनकर मैंने भी हां बोल दिया। कौन बहस करे अब, हालाकि मुझे जवाब देना तो आता है लेकिन हम देना नहीं चाहते हैं। और रही बात अकेले रहने की तो हम अपनी मर्ज़ी से अकेले हैं और खुश हैं। हां कभी कभी मुझे सच मे किसी की परवाह नहीं होती है और जिसकी होती है वो हम दिल से करते हैं। उसके लिए किसी को बोलने की ज़रूरत नहीं होती है और परवाह करना या ना करना इंसान के व्यवहार पर निर्भर करता है। एक हाल ही का किस्सा है जब मेरा एक बहुत करीबी ने मुझे बताया कि आजकल परिवार में लोग उसे ताने देते रहते हैं, वो टूट सा गया है। उसे अब परिवार वालों के रहते हुए भी घर काटने को दौड़ता है, तो मैंने उसकी बात को काटते हुए बीच में ही बोल दिया सुनो ज्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है बस एक बार मेरे बीते हुए उन सालों की ज़िंदगी को याद कर लेना तुम्हें सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। उसके बाद वो कुछ देर के लिए ख़ामोश हो गया क्योंकि मेरे शुरुआती दौर ताने मारने वालों की कतार में एक वो भी था, लेकिन उसको शायद जवाब मिल गया था, जब मैंने केवल एक सवाल पूछा कि क्या मैंने कभी